
एक महिला ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की है कि उसे उसकी बेटी का बर्थ सर्टिफिकेट चाहिए लेकिन वो उसके पिता का नाम नहीं बताएगी। अब हाईकोर्ट ने इस मामले को बीएमसी को जवाब देने को कहा है। महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि वह अविवाहित है और अगस्त 2016 में बेटी को जन्म दी थी। जस्टिस अभय ओका और जस्टिस प्रदीप देशमुख की बेंच को महिला के वकील उदय वरुनजिकर ने बताया कि उसका बच्चा टेस्ट ट्यूब बेबी से हुआ था। स्पर्म एक अज्ञात शख्स से मिला था। और स्पर्म डोनर को बताने के लिए मुझे मजबूर न किया जाये। महिला ने कहा है कि उसने बीएमसी को दिसंबर में एक नोटिस भेजा था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया तो वह हाईकोर्ट आई है। सिंगल पैरेंट्स के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मां के पक्ष में पूर्व में फैसला दिया है।
याचिकाकर्ता ने अदालत के 2015 के उस फैसले का भी जिक्र किया है जिसमें कोर्ट ने कहा था कि सिंगल मदर को अपने बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट में बच्चे के जैविक पिता का नाम का लिखवाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इस बीच जैविक पिता के नाम को लेकर एक अन्य मामले में कोर्ट ने बच्चे के जैविक पिता को अदालत में बुलाया है।
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