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क्या केरल में कमल खिला पाएंगे CM योगी?

एक ऐसा राज्य जहां BJP अभी तक वामपंथ का किला नहीं ढहा सकी है। हालांकि BJP ने उसकी भी तैयारी करते हुए जन रक्षा यात्रा शुरू की है

क्या केरल में कमल खिला पाएंगे CM योगी?

केरल. एक ऐसा राज्य जहां BJP अभी तक वामपंथ का किला नहीं ढहा सकी है। हालांकि BJP ने उसकी भी तैयारी करते हुए जन रक्षा यात्रा शुरू की है, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अलावा तमाम केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे। 3 अक्टूबर को ही शाह ने लाल आतंक के विरोध का नाम देते हुए जनरक्षा यात्रा की शुरुआत की। यह बात स्पष्ट है कि BJP, वैचारिक तौर पर वामपंथ को अपना कट्टर दुश्मन मानती है। साल 2016 में संपन्न हुए केरल के विधानसभा चुनाव में यहां 140 सीट में से भाजपा का सिर्फ 1 विधायक है। 19 विधायक CP1, 58 विधायक CPIM, 22 कांग्रेस और 2 विधायक NCP के हैं। इन सब के बीच बड़ी बात यह है कि यात्रा के दूसरे ही दिन कमान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को दे दी गई। इससे यह साफ होता है कि अमित शाह,ने वामपंथ के मजबूत गढ़ को ढहाने के लिए जिस पत्ते को खोला है उसकी काट शायद नहीं हो।

उत्साह से भरे है कार्यकर्ता -

आदित्यनाथ के केरल पहुंचने से जहां BJP के कार्यकर्ता उत्साह से भर गए हैं, वहीं वामदल लगभग बौखला चुके हैं। इससे आदित्यनाथ के इस पद यात्रा की अहमियत समझी जा सकती है। आदित्यनाथ के केरल पहुंचने पर वामदलों की ओर से लगातार आ रहे बयान और टिप्पणियां ये बता रही हैं, कि इस खेमे में कहीं ना कहीं हलचल जरूर है।

केरल में हिन्दुत्व कभी एजेंडा नहीं रहा -

केरल एक ऐसा राज्य है, जहां मुख्यधारा की राजनीति में हिन्दुत्व कभी एजेंडा नहीं रहा लेकिन BJP इसी रास्ते पर चलने की कोशिश कर रही है। आदित्यनाथ को जिस तरह से केरल में पार्टी मैदान में उतार रही है, उससे यह स्पष्ट दिख रहा है कि पार्टी ध्रुवीकरण करने की कोशिश में जुटी है।

BJP शुरू से यह आरोप लगाती रही है कि वामदल, इस्लामिक चरमपंथ और हिंसा को लेकर हमेशा से नरम रहा है। BJP यह आरोप लगाने से भी नहीं चूकती कि राजनीतिक हिंसा में अब तक जितने भी BJP या संघ के कार्यकर्ता मारे गए हैं, उनकी सीधी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री पी विजयन की है।

इस यात्रा में शामिल होने वालों में योगी अकेले CM -

BJP के 16 मुख्यमंत्रियों में से आदित्यनाथ इकलौते मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें इस यात्रा में शामिल किया गया है। आदित्यनाथ की छवि एक कट्टर हिन्दूवादी नेता की है, जो भीड़ इकट्ठा कर सकते हैं। इतना ही योगी अभी तक सिर्फ यूपी तक ही सीमित थे लेकिन अब भाजपा उनका प्रयोग तमाम चुनावों में अपने हिन्दुत्व के एजेंडे को ध्यान में रख कर करेगी। पार्टी को यह भी लगता है कि योगी एक ऐसा चेहरा हैं जिनके हिन्दुत्व की अपील, UP के बाहर काम आ सकती है।

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